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लेखक की तस्वीरAlam Shah Khan Yaadgaar Committee

आलम शाह ख़ान का साहित्य -जन जीवन का यथार्थ

अपडेट करने की तारीख: 5 मई 2023

देश के जाने-माने कथाकार एवं साहित्यकार प्रो. आलम शाह ख़ान की 16 वीं पुण्यतिथि पर प्रो.आलम शाह यादगार समिति तथा माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि वेद दान सुधीर ने कहा कि प्रोफेसर खान का साहित्य जन सामान्य के जीवन का यथार्थ प्रस्तुत करता है। उनके पात्र गली मोहल्ले में रहने वाले लोग थे ,और उनकी भाषा उन्हीं की भाषा थी।

उनकी लेखनी ने हमेशा समाज में बदलाव का काम किया। प्रोफेसर सुधीर ने कहा कि गुस्सा खान साहब को भी आता था लेकिन उनका यह गुस्सा समाज में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर था। वह किसी को नुकसान देना वाला नहीं था, समाज में बदलाव के लिए था। उन्होंने बताया कि खान साहब कहते थे कि मैं हिंदी लिखता बोलता हूं ,राजस्थानी पढ़ता - पढ़ाता हूं , उर्दू,अंग्रेजी पढ़ता हूं। विशिष्ट अतिथि डॉ मंजू चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो ख़ान का साहित्य अंततः करूंणा उत्पन्न करता है जो श्रेष्ठ साहित्य की विशेषता है। उनकी कहानियों के पात्र विषमता में जीते हुए मानवीय संवेदना जगाने वाले पात्र हैं। उनकी पीड़ा, व्यवस्था के प्रति पाठक के मन में आक्रोश पैदा करती है किंतु वहीं रुक नहीं जाती बल्कि उससे आगे बढ़कर वह पाठक के मन में पीड़ित वंचित वर्ग के प्रति करुणा उत्पन्न करती है । सभा के प्रारंभ में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर चंडालिया ने प्रो. खान के व्यक्तित्व व कृतित्व का परिचय देते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी दी । यादगार समिति के अध्यक्ष एवं जाने माने शायर आबिद अदीब ने अतिथियों का स्वागत किया।

मीरा कन्या महाविद्यालय के हिंदी विभाग की सह- आचार्य इंद्रा जैन ने कहानियां-किराए की कोख, एक गधे की जन्म कुंडली ,सांसो का रेवड़ पर केंद्रित एक आलेख प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कहानी पराई प्यास का सफर का वाचन कहानीकार एवं ख़ान सा. की पुत्री डॉक्टर तराना परवीन ने किया। प्रसिद्ध आलोचक हिमांशु पंड्या ने कहा प्रो.खान समानांतर कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे , किंतु उन्होंने इससे इतर भी अनेक कहानियां लिखीं। उनकी कहानियां भाषा और


सौंदर्य बोध के स्तर पर समानांतर कहानी की सीमाओं को लांघ जाती है। दुर्भाग्य यह हुआ कि उनका नाम समानांतर कहानी आंदोलन से इस प्रकार नत्थी कर दिया गया कि उनका समग्र मूल्यांकन संभव नहीं हो पाया। प्रोफेसर सदाशिव श्रोत्रिय ने प्रोफेसर ख़ान को एक निर्भीक लेखक और साहसी व्यक्ति बताया। वरिष्ठ गीतकार किशन दाधीच ने प्रो. ख़ान के साथ अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा की। डॉ इंद्रप्रकाश श्रीमाली ने आकाशवाणी में प्रो. ख़ान की कहानियों के प्रसारण की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं अपने, महेंद्र मोदी और प्रोफेसर खान तीनों के स्वर में उनकी कहानियों की रिकॉर्डिंग कर प्रसारित की। वरिष्ठ पत्रकार उग्रसेन राव डॉ श्रीकृष्ण जुगनू ने भी विचार व्यक्त किए। प्रोफेसर आलम शाह ख़ान यादगार समिति की ओर से दुर्गाशंकर पालीवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया । कार्यक्रम का संचालन प्रोफ़ेसर हेमेंद्र चंडालिया ने किया।


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