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लेखक की तस्वीरAlam Shah Khan Yaadgaar Committee

प्रो.खान का कथा संसार कालजयी


प्रो.आलम शाह खान की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय था प्रो.आलम शाह खान का सृजन सरोकार। इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर ने कहा की प्रो. आलम शाह खान का कथा संसार कालजयी रहा है। उदयपुर और राजस्थान ही क्या सुदूर दक्षिण तक उनका पाठक वर्ग विद्यमान है। उनकी कहानियों ने स्थानीयता के

रंगों को छुआ व देशी भाषा के प्रयोग पर कहा कि वे अति सहज लिखते थे। आसानी से लोग उनको समझ जाते थे आसानी से लोगों ने उनके स्वजन को समझा भाषा के प्रयोग में उन्हें कोई परहेज नहीं था वह भी क्यों हिंदी स्वयं कई भाषाओं का मंडल है और इसी भाषा मंडल का लक्षण प्रोफ़ेसर खान के कहानी संसार में देखा जा सकता है उन्होंने साहित्य में भूमंडलीकरण के संदर्भों को भी स्पष्ट किया तथा कहा कि हमें इसके लिए समूचे परिवेश को समझना होगा उन्होंने कहा कि आजकल लोग कहानियों को पढ़ते नहीं और उसकी समीक्षा कर देते हैं उन्होंने भूमंडलीकरण व धर्मांधता के खतरों को से साबित करते हुए कहा कि खान साहब की कहानियों में इन खतरों को समझा जा सकता है छोटी-छोटी कृतियां जो समाज में कट्टरवाद को बढ़ावा देती हैं वही अंततः संपूर्ण संस्कृति की विकृति का कारण भी बनती है उन्होंने कहा कि पौराणिक ताको इतिहास बनाने की साजिश से सावधान रहना होगा आलोचक कवि व चिंतक प्रोफेसर नंद चतुर्वेदी ने कहा कि प्रोफेसर खान की कहानियों में स्थानीय की पूरी झलक देखी जा सकती है।

कांकरोली से आए कमर मेवाड़ी ने प्रोफेसर खान की कहानियों के सरोकारों को प्रकट करते हुए उनके विभिन्न संस्मरण भी सुनाए प्रोफेसर खान की पुत्री डॉक्टर तराना परवीन ने उनकी कहानियों में रंग विधान विधान को

परिभाषित करने के का प्रयास किया व कहा कि निजी जीवन में एक पिता के साथ ही एक मां की भूमिका में भी खरे उतरे मां की कमी उन्होंने अपने रहते कभी महसूस नहीं होने दिया जब कभी हम कहीं चले जाते और लौटने में देरी हो जाती तो वह घर की सफाई के साथ-साथ खाना भी बना कर रखते हैं साहित्य के प्रति उनका गजब आकर्षण था समर्पण था एक शोधार्थी ने प्रेमचंद की कहानियों को कहानियों से प्रोफ़ेसर खान की कहानियों की तुलना की संगोष्ठी की अध्यक्षता मानव अधिकार आयोग के सदस्य अमर सिंह गोदारा ने की आयोजन में नगर की अनाहत नाद संस्था की ओर से प्रोफेसर खान की कहानी रस्सी का सांप का मंचन भी किया गया निर्देशन प्रसिद्ध नाट्य कर्मी महेश नायक ने किया नाटक की भूमिका में हिमांशु पंड्या कथाकार प्रज्ञा जोशी खातून व्यास सकीना राकेश नायक सत्तार मनोज कोठारी जालम चंद वेदांत नायक रामजन मनीष संतोष शकील अहमद ठाकुर में थे लाला राम जाट पल्लव में पंड्या समीर बनर्जी अंबिकेश धैर्य नायक अजय भट्ट भी थे प्रकाश व्यवस्था राधारमण व भूपेश काव्य ने की थी जबकि ध्वनि तनु भारती की थी।













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